गज़ल
किसी की याद में ये अश्क बहाया न करें
हैं बड़े कीमती गौहर, इन्हें ज़ाया न करें
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लोग दिल की लगी को दिल्लगी समझते हैं
हाल-ए-दिल यूँ हर किसी को सुनाया न करें
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चाँद को छूने का हक होता नहीं है सबको
हर एक अजनबी से हाथ मिलाया न करें
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नेकियां खत्म होती हैं ढिंढोरा पीटने से
करके एहसान गरीबों पे जताया न करें
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खुदा के घर की बेअदबी नहीं होती अच्छी
दिल-ए-मासूम भूले से भी दुखाया न करें
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।