लघुकथा

प्रेम की प्यास

एक समय था जब जितेंद्र सबसे खुशहाल व्यक्तियों में से एक था. अमीर तो वह आज भी है. उसके पास धन की कमी नहीं है, लेकिन प्रेम की प्यास उसे तृप्त नहीं होने दे रही. जब तक उसकी पत्नी जिंदा थी, उसके पास असीम प्रेम था, पत्नी का भी और बच्चों का भी. ढेर सारा मान-सम्मान सो अलग. अब पत्नी नहीं, प्रेम नहीं, मान-सम्मान पहले जैसा, लेकिन कोरे मान-सम्मान को चाटेगा क्या? कोई प्यार से दो बोल बोले, प्यार से खानपान का ख्याल रखे, तो बात है. बेटे-बहुओं का ध्यान तो बस उसके धन और वसीयत पर है. पत्नी के देहावसान के बाद वह बीमार-सा रहने लगा है. उसकी सेवा को एक नौकर रख दिया है, वह भी सारा दिन उनकी जी-हुजूरी करता है. दिन भर खाना-पीना तो उसको भी वहीं से मिलेगा न!
तभी जितेंद्र ने एक समाचार पढ़ा-

”मरीज की कब होगी मौत, बता देगी मशीन”

उसे प्रेम की प्यास बुझाने को एक तरकीब सूझी. उसने अपने डॉक्टर मित्र से पूछा- ”यार, तुम्हारे अस्पताल में मरीज की कब होगी मौत, बता देने वाली मशीन लगी है क्या?”

डॉक्टर से हां में जवाब पाकर उसने डॉक्टर को अपना मुआयना करने आने के लिए कहकर अपनी तरकीब से अवगत कराया. डॉक्टर को और क्या चाहिए था? आनन-फानन डॉक्टर साहब आ गए. डॉक्टर साहब ने मरीज का मुआयना करते ही घर को सिर पर उठा लिया. मरीज के बहू-बेटों को डांटते हुए बोले-

”तुम लोग बस पैसे के पीर हो? मरीज बेसुध पड़ा है, खुद फोन कर बुला रहा है, तुम लोग मजे में खा-पी रहे हो? जल्दी से ऐम्बुलैंस बुलाओ.”

बेटे-बहू हरकत में आ गए. मरीज को ऐम्बुलैंस में शिफ्ट करते हुए डॉक्टर साहब ने एक पर्चा देखा- ”देखो बच्चो, यह क्या है?”

बच्चों ने देखा तो होश उड़ गए. सारी सम्पत्ति अंत समय तक सेवा करने के नाम! यानी नौकर के नाम?

अस्पताल में मरीज की कब होगी मौत, बता देगी मशीन ने मरीज की कब होगी मौत, बताते हुए 10 दिन का समय निकाला. बच्चों के मन महक उठे- ”सिर्फ़ 10 दिन सेवा, और सारा धन हमारा?” नौकर को तुरंत विदा कर दिया गया.
पूरे 10 साल तक जितेंद्र की प्रेम की प्यास तृप्त होती रही, इसके बाद सेवा बच्चों की आदत ही बन गई थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “प्रेम की प्यास

  • लीला तिवानी

    प्रेम के प्यासे जितेंद्र ने एक समाचार ”मरीज की कब होगी मौत, बता देगी मशीन” पढ़कर ही प्रेम की प्यास बुझाने की अनोखी तरकीब निकाली, जो कामयाब भी हुई.

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