गीतिका/ग़ज़ल

तू कच्ची सी ज़िद्द है तो

तू कच्ची सी ज़िद्द है तो हूँ मै इतराती रज़ा कोई।
बने हसीन गुनाह अगर तो मै प्यारी सी सज़ा कोई।

मेरा तेरा रिश्ता यूँ भी जो एक नही तो दूजा क्या।
तू पाकीज़ा सजदा तो मै लब पर आती दुआ कोई।

होठों पर बंसी जैसा तू मै विरह की धुन सी गूंजू।
तू बने जो गहरा दर्द अगर तो मै मीठी सी दवा कोई।

मन मयूर नाचे जब भी तू बादल बन बन है छाया।
तू खुश्बू भीनी भीनी सी मै मंद मंद सी हवा कोई।

श्रृंगार अगर तू है खुद को मै चढ़ने वाला रूप करूँ।
तू पाँव की झाँझर हो तो मै रुनक झुनक सी सदा कोई।

तेरे वजूद से रोशन है मेरे वजूद का अंगनारा।
तुझको अगर खुदा कह दूँ तो मै जलता सा दिया कोई।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा