ग़ज़ल
ये प्यार एक दिन मुझसे मेरी जान मांगेगा
ग़म देकर मुझको ये मेरी मुस्कान मांगेगा।
खामोशियों की हथकड़ी जब दिल से टूटेगी
ये सिलसिला दिल में कोई तूफान मांगेगा।
खुद से बिछड़ के हम खो जाएंगे एक दिन
के हर आईना मुझसे मेरी पहचान मांगेगा।
इस जिंदगी की दौलत सब उनको सौंप दी
कि फिर भी वो मुझसे मेरे अरमान मांगेगा।
कुछ भी रहा न बाकी दिल बिखरा टूट कर
टूटा हुआ दिल सिरफिरा य नादान मांगेगा।
दिलकी धडकने जानिब गजलों में छुपा दी
क्योंकि जीने की कीमत भी बेईमान मांगेगा।
— पावनी जानिब सीतापुर