कविता

शब्द

शब्द ही तो हैं हमारे मध्य
शब्दों में ही है हमारा संसार
धुन की लय में बहते हुए शब्द
कह जाते हैं कानों में बहुत कुछ
कभी प्रेम , कभी तकरार
कभी इज़हार , कभी इनकार
शब्द-शब्द गीत हैं
शब्द-शब्द ग़ज़ल
हर एक शब्द का है
अपना अस्तित्व
और इन शब्दों की तलाश में
खो बैठी मैं खुद को कहीं
अब देखा पलट कर, तो जाना
इन शब्दों को संजोने में
खाली रह गए ….
मेरी किताब के कई पन्नें ….
और आ गयी जिंदगी दोराहे पर …
अब इन शब्दो को सहेज लूं
जो मेरे होकर भी कभी
वफ़ा न निभा सके मुझसे ….
या उन पन्नों को फिर सजाऊँ
जिनके लिए मेरा सजाना
शायद कोई मायने नहीं रखता….
या फिर चुन लूं
इक नया रास्ता ही……

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]