”ये हुई न बात!”
रंजना के परामर्श को अंजना ने अमली जामा पहना दिया था. आज CBSE से आई चिट्ठी से उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उसे पहले इंग्लिश में 16 नंबर मिले थे. इंग्लिश की कॉपी की दोबारा जांच कराने पर जो रिजल्ट सामने आया, वह कम चौंकाने वाला नहीं था क्योंकि उसके इंग्लिश में 80 नंबर आए थे यानी 400 फीसदी का फर्क था. अंजना उस दिन रंजना से अपनी मुलाकात के पलों में पहुंच गई.
”अंजना तुम्हारी अंजन से अंजित आंखें बरस क्यों रही हैं?” रंजना ने पूछा.
”सताओ मत रंजना, तुम तो जानती हो आज मेरा 12वीं का रिजल्ट आया है और मैं फेल हो गई हूं.” रुआंसी-सी अंजना ने जैसे तैसे कहा.
”फेल! कौन से विषय में, बताओ तो भला.”
”इंग्लिश में.”
”और तुमने मान लिया?” रंजना बोली.
”इसमें मानने-न मानने वाली कौन से बात है. मार्कशीट भी यही कह रही है.”
”मैं नहीं मानती.” रंजना ने दृढ़तापूर्वक कहा.
”तेरे मानने-न मानने से क्या होगा?” खुद पर अंजना का गुस्सा बढ़ रहा था.
”एक काम कर अंजना, हिम्मत मत हार और वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई कर दे.”
”मन तो मेरा भी कर रहा है, लगता है कोई भारी गड़बड़ हुई है. पेपर तो मेरा बहुत अच्छा गया था. 80 नंबरों की तो मुझे पूरी उम्मीद थी.”
इंग्लिश की कॉपी की दोबारा जांच कराने पर जो रिजल्ट सामने आया उसी से अंजना, उसके परिवारीजन, रिश्तेदार, मित्र और स्कूल के अध्यापक गण खुश भी थे और हैरान भी. मिठाई खाते हुए सबने कहा- ”ये हुई न बात!”
गजब! एक और समाचार पढ़ा था … एक विद्यार्थी को ५०० म३ ४९९ नंबर मिले थे. उसे इतना आत्मविश्वास था कि उसने फिर से कॉपी जांच की मान की और उसे पूरे ५०० नंबर मिले. अगर अपने आप पर भरोसा हो तो हार नहीं माननी चाहिए …
प्रिय जवाहर लाल सिंह भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको लघुकथा बहुत अच्छी लगी. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. यह समाचार हमने भी पढ़ा था. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
bahut achhi laghu katha lila bahan .
अंजना को पहले इंग्लिश में 16 नंबर मिले थे. इंग्लिश की कॉपी की दोबारा जांच कराने पर जो रिजल्ट सामने आया, वह कम चौंकाने वाला नहीं था क्योंकि उसके इंग्लिश में 80 नंबर आए थे यानी 400 फीसदी का फर्क था. ”ये हुई न बात!”