एहसास
पहली बार मिले थे ,तब मैं तुम्हें बस देखता रहा
उस समय मेरा ख्याल था,
कि तुम्हें मैं अपनी आंखों में छुपा लूं
बड़ी मुद्दतों और बड़ी कोशिशों के बाद
मैं मिला तुमसे दोबारा
अबकी बार बस एक ख्वाहिश थी
दिल की तुझे छू भर लूँ
तेरी आंखों ने जवाब भी दे दिया था
मुझे क्योंकि
तेरे दिल में भी कुछ ऐसा ही चल रहा था
चलते-चलते तुमने जिस तरह से
मेरी उंगली पकड़ी थी
अभी तक वह एहसास जिंदा है
उंगलियों पर
तेरी मुस्कुराहट और तेरी बातें
बिल्कुल मेरी किताब की तरह है
जब भी खोलता हूं ,मुस्कुराती हुई मिलती है मुझे