गीत : गौरव चौहान
(सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो आने के बाद सबूत मांगने वाले नेताओं को धिक्कारती कविता)
सत्य शौर्य साहस को छल बतलाने वाले नेता सुन
सर्जीकल को फर्जीकल बतलाने वाले नेता सुन
सुन कानों को खोल गरजती बंदूकों बम गोलों को
देख ज़रा आँखों से सरहद पार गिरे उन शोलों को
देख ज़रा धूं धू कर जलती वो आतंकी झोपड़ियां
देख ज़रा गोली से उड़ती वो जेहादी खोपड़ियां
देख ज़रा बारूद उगलते प्रतिशोधी अरमानो को
देख ज़रा तिल तिल मरते दहशत के अब्बा जानों को
देख ज़रा फौजी दमखम की अतुलित अमर कहानी को
देख ज़रा वापस लौटे हर ज़िंदा हिंदुस्तानी को
जिसका तेवर देख रूह दुश्मन की भी थर्राती है
नाप सके तो नाप, यही तो छप्पन इंची छाती है
ओ निर्लज्जों शर्म न आयी, वहशी जीभ चलाने में
खुद की सेना के ऊपर ही ऊँगली तुंम्हे उठाने में
जो अपने सीने में मरने के अरमान समेटे थे
जो सीमा के पार गए वो भारत माँ के बेटे थे
कवि गौरव चौहान कहे, मजबूत इरादे क्या जानें
साहस की परिभाषा इटली छाप पियादे क्या जानें
लो सबूत अब भेज दिया है, पलटन हिंदुस्तानी ने
तुमको नंगा कर डाला है, इस बेदाग़ कहानी ने
सुनो केजरी, आजम सुन ले, अब जाहिल सलमान सुने
वो जो अपने सीने में रखता है पाकिस्तान, सुने
सिद्ध हो गया, सूरज है तैयार तुम्हारा ढलने को,
एक वीडियो ही काफी है, कालिख तुम पर मलने को
अब कितने सबूत मांगोगे, भिखमंगो बतलाओ जी
शर्म बची हो अगर ज़रा भी, कहीं डूब मर जाओ जी
तुम सबूत ही चाह रहे हो तो मंज़ूरी कर देंगे
अब की जो सर्जिकल हुआ तो इच्छा पूरी कर देंगे
लाइव टेलीकास्ट देखना, इंतज़ाम करवा देंगे
अब की बार तुंम्हें गाडी के बोनट से बंधवा देंगे
— कवि गौरव चौहान