मंदसौर की घटना पर
कठुआ में सब काठ के उल्लू पहुँच गए थे रोने को
लेकर साथ मीडिया पहुंची तकिया और बिछौने को
मोमबत्तियों की बिक्री में देखा खूब इज़ाफ़ा था
पप्पू अपना लेकर चप्पू चला चला कर हांफा था
नाम आसिफा था, यह सुनकर सब के सब बौराये थे
रेप रेप हो गया इंडिया, सबके सब चिल्लाये थे
पूछ रहा हूँ क्यों ये नेता, अपने बेंच उसूल गए
केवल कठुआ याद रहा, पर मंदसौर को भूल गए
कठुआ में मुस्लिम की बेटी, वोट कमाऊ दिखती थी
मोदी को गरियाने वाली खबर टिकाऊ दिखती थी
लेकिन मंदसौर की घटना कोने बीच समेटी है
क्यों कि अभागन रक्त सनी वह इक हिन्दू की बेटी है
कहाँ गए वो खबरी गुंडे, न्यूज़ छिछोरे कहाँ गए
कहाँ गया झाड़ू का झंडू, टोंटी चोरे कहाँ गए
कहाँ गयी अधनंगी बॉलीवुड बालाएं कहाँ गयी
हिन्दू, मंदिर, देवी पर रोती कुल्टायें कहाँ गयीं
जंतर मंतर, गेट इंडिया के वो मंज़र कहाँ गए
आंसू-हमदर्दी, वो तख्ती पोस्टर बैनर कहाँ गए
रे पाखण्डी दुष्टजनों, तुम मत बोलो, मैं बोलूंगा
इस घटना पर बोल बोलकर पोल तुम्हारी खोलूंगा
ये देखो इरफ़ान, मुसलमां बंदा है इस्लामी जो
वहशी तालीमों को लेकर निकला बड़ा हरामी जो
नन्ही बच्ची पटक ज़मीं पर नोची इस मतवाले ने
नवरात्री का व्रत खा डाला पापी रोज़े वाले ने
जिनके मुंह पर ताले लटके, आज उन्ही से पूछुंगा
अवसरवादी,छद्म मीडिया, बॉलीवुड पर थूकुंगा
तुम कितने हो सख्त घिनौने, इस घटना ने, बता दिया
हिन्दू जनमानस के दुश्मन हो तुमने ये जता दिया
मुसलमान से हमदर्दी का ढोल न कोई पीटेगा
यह जनता दरबार, उसे अब सड़कों बीच घसीटेगा
कवि गौरव चौहान कहे, अब तक की बात अधूरी है
इस पापी इरफ़ान मिंया की होना मौत ज़रूरी है
प्रश्न नही मेरी, तेरी या किसी और की बेटी का
अपराधी ज़िंदा मत छोडो, मंदसौर की बेटी का
— कवि गौरव चौहान