गीत/नवगीत

गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा

चाहे जितने गीत लिखें हम ताजमहल की सुंदरता पर.
चाहे जितने गीत लिखें हम शाहजहाँ की प्रेम कथा पर.
लेकिन कटे हुये हाथों की जो हम पीर नहीं लिख पाये,
तो फिर कोई गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा.

अर्जुन को कह श्रेष्ठ धनुर्धर चाहे जितना बड़ा बता दें.
और कृष्ण को बना सारथी उसकी विजय ध्वजा फहरा दें.
लेकिन सँग-सँग एकलव्य काे जो धनुवीर नहीं लिख पाये,
तो फिर कोई गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा.

मर्यादा पुरुषोत्तम की हम चाहे जितनी गायें गाथा.
रामराज्य के आदर्शों को लिखकर उन्नत कर लें माथा.
लेकिन सीता के नयनों का जो हम नीर नहीं लिख पाये,
तो फिर कोई गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा.

“जन-गण-मन अधिनायक जय हे” हम चाहे जितना भी गा लें.
भारत माता की महिमा के चाहे जितने गीत बना लें.
लेकिन उन गीतों में अपना जो कश्मीर नहीं लिख पाये,
तो फिर कोई गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा.

— डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9415474674

One thought on “गीत हमारा पूरा कैसे कहलायेगा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर गीत !

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