बाल कविता – बच्चे और मधुमक्खी
सुनो सुनो मधुमक्खी रानी
कहो कहाँ से आती हो।
कितनी छोटी सी हो तुम
और इतना शहद बनाती हो।
कहाँ कहाँ से फूलों का रस
तुम ले कर के आती हो।
छत्ता कोई तोड़ भी दे तो
फिर भी न घबराती हो।
मीलों की दूरी तय करके
फूलों का रस लाती हूँ।
रात और दिन मेहनत करके
मीठा शहद बनाती हूँ।
कोई जब भी शहद चुराए
कुछ पल तो रुक जाती हूँ।
फिर दुगना साहस भर
मन में दोबारा जुट जाती हूँ।
होगा क्या कोई जो थोड़ा
शहद अगर ले जायेगा।
इसे बनाने का वो तरीका
कैसे भला चुराएगा।
बात सुनो तुम मेरे प्यारों
कुछ भी हो हिम्मत न हारो।
बाधाएँ आएं कितनी ही
राहें अपनी आप संवारों।
कोई लाख सताये तुमको
मत रुकना मत रोना तुम।
खो जाए सब कुछ तो भी
मन का धीरज न खोना तुम।