कविता
– तुलसी
हमको बचपन से प्यारी तुलसी
इस युग में है अवतारी तुलसी
हर घर जन लगी दुलारी तुलसी |
गमला धरती सब प्यारी तुलसी
कार्तिक पूजन तैयारी तुलसी
हर नारी पूजन वारी तुलसी |
हर आंगन खुशबू से निखर रहा
अपनी महक दे बढा बिखर रहा
हर वास सुवास भरे ठहर रहा |
तुलसी बहुत गुणों की है भंडार
देवों दिल भाया पाया आहार
ना श्यामा-रामा तुलसी पुकार ।
श्री पति कंत श्याम संग ब्याही
गठजोड़ पा सदा लिये आधार
हो सदा ही खुशियों का व्यबहार |
जिस घर में भी तुलसी अर्चना हो
बुरी बला नहीं पास भटकन हो
मन बेचैन ना बढ़ी धड़कन हो |
रोज़ माँ तुलसी को प्रणाम करो
रविवार ना पास से विश्राम हरो
प्रभु कृष्ण संग याद से कर धरो |
रेखा मोहन 7/4/२०18