“पिरामिड”
वो
गया
समय
बचपन
लौट न आए
मन बिछलाए
झूला झूले सावनी॥-1
ये
वक्त
बे-वक्त
शरमाना
होठ चबाना
उँगली नचाना
प्रेमी प्रेम दीवाना॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
वो
गया
समय
बचपन
लौट न आए
मन बिछलाए
झूला झूले सावनी॥-1
ये
वक्त
बे-वक्त
शरमाना
होठ चबाना
उँगली नचाना
प्रेमी प्रेम दीवाना॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी