ग़ज़ल : अपने साये से सदा साथ रहे हम ऐसे
अपने साये से सदा साथ रहे हम ऐसे
अपनी धरती पे झुका रहता है अम्बर जैसे
चाँद-तारे भी निकल आते हैं घर से बाहर
अपने सूरज से रहे दूर उजाला कैसे
हाथ खाली नहीं दिल प्यार से लबरेज रहा
देने वालों को खुदा देता है खुलकर पैसे
हँसके दिन काट दिया, गा के सुलाया शब को
जिन्दगी हमने गुजारी नहीं जैसे-तैसे
झूठ है लोग बदल जाते हैं मौसम की तरह
‘शान्त’ कल जैसे थे हम आज हैं बिल्कुल वैसे
— देवकी नन्दन ‘शान्त’