लघुकथा

उजाले का वितरण

प्लास्टिक के प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने का संकल्प समीरा ने लिया था, लेकिन….
”लेकिन क्या? ये लेकिन-किंतु-परंतु कायरों के लिए होते हैं. तुम तो समीरा हो, कहीं भी पहुंच सकती हो, उठो, जागो, उजाले का वितरण करो.” मन की एक रोशनी की एक झीनी-सी लकीर ने समीरा को उजाले का वितरण करने का रास्ता दिखा दिया था.

समीरा को आज भी अच्छी तरह याद है, कि उजाले का वितरण करने के लिए उसने सबसे पहले डिस्पोजेबल गिलास और प्लेट बनाने वाली एक कंपनी के जानकार से बातचीत की थी. 
”क्या डिस्पोजेबल गिलास और प्लेट बनाने की प्रक्रिया के बारे में कुछ जानकारी देंगे?”
”जी, 3 डिस्पोजेबल गिलास बनाने में एक गिलास पानी खर्च हो जाता है.”
”इसका मतलब यह हुआ, कि पहले तो गिलास बनाने के लिए पानी खर्च किया जाए, फिर आसानी के नाम पर उसी जहरीले गिलास में चाय-पानी पिलाकर पर्यावरण में प्लास्टिक वेस्ट को फेंक दिया जाए.” समीरा बोली थी, ”और फिर प्लास्टिक वेस्ट धरती के लिए भी जहर बन जाता है.”
उसने इस उजाले का वितरण करने और प्लास्टिक के प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए स्टील के बर्तनों का ‘क्रॉकरी बैंक’ खोला. इस ‘क्रॉकरी बैंक’ में धर्म के नाम पर दान करने वाले लोग स्टील के बर्तनों का दान करने आते हैं, जिनको जरूरत है वे कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए अपनी संस्था के लिए स्टील के बर्तन ले जाते हैं. इस तरह केवल समीरा ही नहीं, अन्य लोग भी प्लास्टिक के प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के प्रति जागरुकता फैला रहे हैं.
कदम-ब-कदम उजाले का वितरण जारी है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “उजाले का वितरण

  • लीला तिवानी

    ऐसे ही कदम-ब-कदम उजाले का वितरण जारी रखकर ही हम प्लास्टिक के प्रदूषण से अपने पर्यावरण को मुक्त कर सकेंगे, अन्यथा इसका दुष्परिणाम हमको ही भुगतना पड़ेगा.

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