मुझसे मिलिए
मैं हूं क्लोन भेड़ ‘डॉली’. वैसे तो अब मैं वयस्क हो चुकी हूं, लेकिन आप सबसे मेरी मुलाकात हो ही कहां पाती हैं. आप में से बहुत लोग तो मुझसे भी बाद में पैदा हुए हैं. चलिए, मैं सबको संबोधन कर अपने बारे में कुछ बता रही हूं.
आज ही के दिन 5 जुलाई को स्कॉटलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ऐडिनबर्ग के रोजलिन इंस्टिट्यूट में शोधकर्ता इयान विल्मट और कीथ कैम्पबल द्वारा पहला क्लोन तैयार किया गया था. इसके लिए उनकी टीम ने पहली बार किसी स्तनधारी जीव से निकाली गई कोशिका के क्लोन से भेड़ तैयार की थी.
पहले उस भेड़ को शुरुआत में एक कोड संख्या दी गई थी. मगर जब उस रिसर्च टीम के एक सदस्य को पता चला कि क्लोन बनाने के लिए जिस कोशिका का इस्तेमाल किया गया, वह स्तन का है तो सभी ने उस भेड़ को एक नाम देने की सोची.
जिसके लिए उस जमाने की ऐक्ट्रेस और सिंगर डॉली पार्टन का नाम सभी को पसंद आया. यह ऐक्ट्रेस पूरी तरह से स्वस्थ व आकर्षक थी, इसलिए उस क्लोन भेड़ को उनके नाम पर डॉली पुकारा जाने लगा. जानकारों की मानें तो इस तरह लुप्त होती प्रजातियों की क्लोनिंग के जरिए संरक्षण और खास किस्म के जानवरों की संख्या वृद्धि कर पाना आज संभव हो गया है.
दिलचस्प बात है कि डॉली के पैदा होने की घोषणा काफी समय बाद, फरवरी 1997 में की गई। डॉली की क्लोनिंग उजागर होने के बाद से ही लोगों में पसंदीदा पालतू जानवरों का क्लोन तैयार करने की मांग बढ़ने लगी. इसके साथ ही हॉलिवुड में भी कई साइंस-फिक्शन फिल्में क्लोनिंग पर बनीं. ‘जुरासिक पार्क’, ‘स्पलाइस’, ‘सुरोगेट्स’ जैसी फिल्में इस सूची में शामिल हैं.
डॉली ने अपनी सारी जिंदगी रोजलिन इंस्टिट्यूट में ही गुजारी और 6 बच्चों को
जन्म भी दिया. हालांकि, फरवरी 2003 में डॉली की सात साल की उम्र में मौत हो गई थी. बताया जाता है कि डॉली को अपने अंतिम समय में फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी हो गई थी, जिसकी वजह से अंततः उसकी मौत हो गई.
आज क्लोन भेड़ ‘डॉली’ भले ही नहीं रही, लेकिन क्लोन भेड़ ‘डॉली’ अमर है. प्रतिवर्ष 5 जुलाई को मैं आपसे मिलने आया करूंगी. तब तक के लिए सलाम-नमस्ते.
लीला बहन , डाली को आप ने फिर से जिंदा कर दिया .यह वाकई कमाल की खोज है . इस से तो धर्मराज के हाथ भी खड़े हो गए .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता बहुत अच्छी लगी. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. डाली के फिर से जिंदा हो जाने से तो धर्मराज के हाथ भी खड़े हो गए. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
क्लोन भेड़ ‘डॉली’ के जन्मदिवस के अवसर पर उसके आत्मकथात्मक अनुभव
आज ही के दिन 5 जुलाई, 1996 में क्लोनिंग के जरिए वैज्ञानिकों ने पहली बार किसी स्तनधारी जीव का क्लोन तैयार किया था। जिसके बाद से दुनियाभर में क्लोनिंग के फायदे-नुकसान को लेकर बहस छिड़ गई, जो आज तक जारी है।