जानवर !
बंटी जल्दी जल्दी स्कूल की ओर जा रहा था,तभी एक नज़र पिंकी के पापा पर पड़ी! पिंकी के पापा उसी ओर आ रहे थे, पर अचानक बंटी के कदम रुक गए …..ये क्या?
पास की झाड़ियों में एक कुत्ता चुपचाप बैठा उस राह की और मुँह करके बैठा था और पिंकी के पापा ने उसे पत्थरों से मारना शुरु कर दिया….चल चल चल यहां से! आते जाते राही को काट लेगा तो लेने के देने पड़ जाएंगे । एक बड़ा सा पत्थर ज़ोर से मारा जो वहाँ से भागते कुत्ते की पीठ पर लगा और बड़ा घाव हो गया पर वो लंगड़ाता भौंकता वहाँ से भाग गया। अभी तक बंटी भी पिंकी के पापा के बिल्कुल करीब आ गया था और सब देख लिया था।
अंकल आपने उसे इतनी बुरी तरह से क्यों मारा…वो वहाँ चुपचाप बैठा था किसी को तंग नहीं कर रहा था। चुप कर तू लड़के तुझे नहीं पता ये जानवर है,इसका कोई भरोसा नहीं कब काट ले। जानवर है !कोई फर्क नहीं पड़ता जा तू स्कूल देर हो जाएगी। बंटी को समझ नहीं आ रहा था जानवर कौन होता है !