ए जिन्दगी………. तेरी नौकरी अब क्यू करूं
ए जिन्दगी………
तेरी नौकरी अब क्यू करूं
रोज तुझे सुलाता हूं मै
रोज तूझे नहलाता हॅू मै
इधर उधर ले जा करके
रोज तुझे टहलाता हूं मै
तुझे सुकूं देने की खातिर
कुर्बान मै अपना सुकूं करूं
ए जिन्दगी……….
तेरी नौकरी अब क्यू करूं
तेरी कितनी सेवा की है
क्या क्या तुझे खिलाया है
जब तू चढ़ नही सकती थी
तब से सर पे चढ़ाया है।
रास नही आती है मुझको
अब मै तुझसे हिसाब करूं
ए जिन्दगी……….
तेरी नौकरी अब क्यू करूं
तुझको अपना नाम दिया
सब कुछ तेरे नाम किया
अब तक मेरी चाहत का
क्या तूने ईनाम दिया।
तेरी चमड़ी की खातिर
दमड़ी मेरी खतम हुई
अब तेरी नौकरी छोंड रहा हूं
मै आजादी से सैर करूं
ए जिन्दगी……….
तेरी नौकरी अब क्यू करूं
नखरे अब तेरे बहुत हुए
कभी ये चाहे कभी वो चाहे
कब तक मै ऐसे दौडूंगा
खुद दौड़ जिसे अब तू चाहे
पल भर अब तेरे साथ यहां
रूकने को जी नही करता है
जिस दिन दामन छोंड तू दे
कहीं जाके दूर मै (राज) करूं
ए जिन्दगी……….
तेरी नौकरी अब क्यू करूं
राज कुमार तिवारी (राज)