जनसंख्या समस्या कैसे सुलझाओगे?
विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष
जनसंख्या समस्या को, कहो कैसे सुलझाओगे?
समय रहते न सुलझाया, उलझकर मात खाओगे-
1.कमी होगी जो अन्न की, कमी होगी दलहन की तो कैसे भूख मिटाओगे?
कमी होगी हर शै की, कमी होगी जो जल की तो कैसे प्यास बुझाओगे?
अभी सुलझा लो जग वालो, सुखी तब ही रह पाओगे
समय रहते न सुलझाया, उलझकर मात खाओगे-
2.न रहने को घर होगा, न चलने को पथ होगा, कहो कैसे रह पाओगे?
न पढ़ने को मिले भर्ती, न खेती हेतु धरती, कहो क्या कर पाओगे?
अभी सुलझा लो जग वालो, सुखी तब ही रह पाओगे
समय रहते न सुलझाया, उलझकर मात खाओगे-
3.न स्वच्छता रहेगी, न चिकित्सा मिलेगी, खुशी कैसे जुटाओगे?
जनसंख्या-बाढ़ होगी, तो लूट-मार होगी, कहो कैसे बच पाओगे?
अभी सुलझा लो जग वालो, सुखी तब ही रह पाओगे
समय रहते न सुलझाया, उलझकर मात खाओगे-
(तर्ज़-कि अपना दिल है आवारा, न जाने किस पे आएगा—-)
वाकई , यह बहुत बड़ी समस्य है लीला बहन . एक के बाद अभी नहीं , दो के बाद कभी नहीं का नारा भी गम हो चुक्का है . १९४७ में हमारी आबादी ३६ करोड़ थी , अब १३४ करोड़ और ऐड हो गए . ब्रिक्ष खत्म हो गए, पत्थर के जंगल हर जगह बन गए और फ़ूड का यह हाल है ,कभी पिआज नहीं मिलता तो कभी टमाटर . उन दिनों ऐक्नौमिक्स में पढ़ा करते थे, this table of nature is limited to some number of guests, those who come uninvited, will starve . लगता है , हम भूख की स्थिति की तरफ जा रहे हैं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. आज हम भूख-प्यास की स्थिति की तरफ जा रहे हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
इस वक्त दुनिया की आबादी 7.6 बिलियन यानी 760 करोड़ है जो हर दिन, हर घंटे, हर सेकंड बढ़ती जा रही है लेकिन संसाधन सीमित हैं लिहाजा इस बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने और बढ़ती आबादी से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के मकसद से ही हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉप्युलेशन डे मनाया जाता है। इस साल यानी साल 2018 की वर्ल्ड पॉप्युलेशन डे की थीम है- फैमिली प्लॅनिंग इस आ ह्यूमन रघ्ट यानी परिवार नियोजन हर मनुष्य का अधिकार है.