ज्ञान के दीप जला पाऊं
सद्बुद्धि दो मुझको राम,
करूं मैं अच्छे-अच्छे काम,
धनुष धरूं मैं न्याय के हेतु,
जग में हो मेरा भी नाम.
आज्ञाकारी मैं बन पाऊं,
भ्रातृप्रेम में मैं रंग जाऊं,
मानव बन मानवता के हित,
ज्ञान के दीप जला पाऊं
सद्बुद्धि दो मुझको राम,
करूं मैं अच्छे-अच्छे काम,
धनुष धरूं मैं न्याय के हेतु,
जग में हो मेरा भी नाम.
आज्ञाकारी मैं बन पाऊं,
भ्रातृप्रेम में मैं रंग जाऊं,
मानव बन मानवता के हित,
ज्ञान के दीप जला पाऊं
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lila bahan , ज्ञान के दीप जला पाऊं, कविता बहुत बेहतरीन है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता बहुत अच्छी लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
बच्चे की अभिलाषा कितनी खूबसूरत है!धनुष धरूं मैं न्याय के हेतु,जग में हो मेरा भी नाम.ऐसा ही हम सब करें, तो कितना अच्छा हो?