थॉयराइड का प्राकृतिक उपचार
थॉयराइड आजकल की आम समस्या है। व्यस्त जीवन शैली और अस्वस्थ खान-पान के कारण थायराइड के मरीजों की संख्या दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है। आमतौर पर महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये तितली के आकार की होती है।
थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। यह ग्रंथि शरीर में चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है।
थॉयराइड के कारण
आरामतलब जीवन शैली (आलस्य में पड़े रहना, पैदल की जगह वाहनों से चलना, सीढ़ियों के बजाय लिफ़्ट से चढ़ना-उतरना आदि) के कारण इस ग्रंथि की सक्रियता कम होती है और व्यक्ति अनजाने में ही इसका रोगी बन जाता है। मोटापा, अस्वस्थ खान-पान तथा आयोडीन की कमी भी इसका कारण होती हैं।
थायराइड के लक्षण
थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इसकी वजह से शरीर में कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान होना, शरीर सुस्त रहना, थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना, डिप्रेशन में रहने लगना, किसी भी काम में मन न लगना, याददाश्त कमजोर होना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना शामिल हैं। इन सभी समस्याओं को मामूली समझकर ज्यादातर लोग इनकी उपेक्षा करते रहते हैं जो बाद में खतरनाक और कई बार तो जानलेवा साबित हो सकता है।
थॉयराइड का उपचार
थॉयराइड में कोई दवा काम नहीं करती चाहे जीवनभर लेते रहें। निम्नलिखित योग और व्यायामों से इसमें सीधा और तत्काल लाभ होता है, बशर्ते सारी दवायें बन्द कर दें और हल्का सात्विक भोजन करें-
- रीढ़ के व्यायाम (क्वीन और किंग एक्सरसाइज़)
- मुँह के व्यायाम
- गले के व्यायाम
- सिंहासन
- भस्त्रिका प्राणायाम
आप ये क्रियाएँ किसी भी योगाचार्य या प्राकृतिक चिकित्सक से सीख सकते हैं। यहाँ रीढ़ के व्यायामों का वीडियो दे रहा हूँ
— विजय कुमार सिंघल
आषाढ़ कृ १४, सं २०७५ वि (१२ जुलाई २०१८)