गीतिका/ग़ज़ल

बिते हुये बातो को याद.क्यो करना

बिते हुये बातो को याद.क्यो करना
जब दूर ही गये तो पास क्यो आना

गलतफहमियां थी हमदोनो के बीच
अब उसमे झूठे दिमाग क्यो लगाना

मिल जाते गले देखते ही एकदूसरे को
वर्षो बाद मिलें तो आँख क्यो चूराना

खत्म हो गये सभी किस्से कहानी
फिर दूसरी नयी बात क्यो बनाना

भेज रखी थी मिलने की संदेशा निवेदिता
तुम्हे आना ही नही तो आस क्यो लगाना।
निवेदिता.चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४