मुक्तक/दोहा

 “मुक्तक”

मापनी- 212 212 1222

हर पन्ने लिख गए वसीयत जो।

पढ़ उसे फिर बता हकीकत जो।

देख स्याही कलम भरी है क्या-

क्या लिखे रख गए जरूरत जो॥-1

गाँव अपना दुराव अपनों से।

छाँव खोकर लगाव सपनों से।

किस कदर छा रही बिरानी अब-

तंग गलियाँ रसाव नपनों से॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ