बाल कविता “बच्चों का मन होता सच्चा”
सीधा-सादा. भोला-भाला।
बच्चों का संसार निराला।।
बचपन सबसे होता अच्छा।
बच्चों का मन होता सच्चा।
पल में रूठें, पल में मानें।
बैर-भाव को ये क्या जानें।।
प्यारे-प्यारे सहज-सलोने।
बच्चे तो हैं स्वयं खिलौने।।
बच्चों से नारी है माता।
ममता से है माँ का नाता।।
बच्चों से है दुनियादारी।
बच्चों की महिमा है न्यारी।।
कोई बचपन को लौटा दो।
फिर से बालक मुझे बना दो।।
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)