लघुकथा

संघर्ष से उपलब्धि तक

आज बिरेन कुमार बसाक ‘बिरेन बसाक एंड कंपनी’ के मालिक बन गए हैं, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. इसे बिरेन कुमार बसाक के जीवन की सफलता की कहानी कहें या संघर्ष के बाद उपलब्धि की कथा, बात वहीं पहुंचेगी.

बिरेन का बचपन काफी गरीबी में गुजारा. बुनकर के परिवार में जन्मे बसाक के पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि परिवार का भरण-पोषण हो सके. उनके परिवार के पास एक एकड़ जमीन थी जिस पर अनाज उपजाकर कुछ खाने को मिल जाता था. पैसे की वजह से वो ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए.

चार दशक पहले बिसाक अपने कंधे पर साड़ियों का बंडल लादकर गली-गली घूम हरेक घर का दरवाजा खटखटाकर साड़ी बेचा करते थे, तो कभी एक बुनकर के यहां 2.50 रुपए दिहाड़ी पर साड़ी बुनने का काम किया करते थे. काम वही पुश्तैनी बुनकर का, लेकिन आज वो अपनी मेहनत के दम पर बिरेन बसाक एंड कंपनी के मालिक बन गए हैं, जिसका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपए है.

संघर्ष से उपलब्धि तक की इससे अच्छी मिसाल और कहां?

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “संघर्ष से उपलब्धि तक

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    amazing .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको लघुकथा बहुत अच्छी व amazing लगी. आपकी प्रतिक्रिया भी amazing है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    संघर्ष करके उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है, यह सिद्ध कर दिया है बिरेन कुमार बसाक ने जो एक समय 2.50 रु दिहाड़ी पर काम करने वाले जुलाहे थे, आज ‘बिरेन बसाक एंड कंपनी’ के मालिक बन गए हैं, जिसका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपए है.

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