गीत
नज्में लिखना गाया करना
तल तक कविवर जाया करना ढूंढ के मोती लाया करना |
नज्में लिखना गाया करना जग को सच समझाया करना ||
इतिहास की निर्मम भूलों पर विकृतियों के तीक्ष्ण शूलों पर |
हिलती समय की चूलों पर लू झुलसाए फूलों पर ||
कविवर आँखें मूँद न लेना अपनी दृष्टि दौड़ाया करना | नज्में …||
दंगों और फसादों पर पसर रहे अवसादों पर |
सियासत के झूठे वादों पर मुंसिफ और प्यादों पर ||
सब कुछ लिखना देखा भोगा अपना फ़र्ज निफाया करना |नज्में ..||
अनसुलझे संवादों पर सत्ता के लगे स्वादों पर |
वादों और विवादों पर रूढ़िवादी लबादों पर ||
गूढ़ विवेचन करना प्यारे अपनी कलम चलाया करना | नज्में …||
भटकाते अंधेरों पर मलिन स्वार्थ के ढेरों पर |
मृगतृष्णा के फेरों पर ऊबे हुए सवेरों पर ||
कैसे पार पाओगे प्यारे अपनी राय बताया करना | नज्में …||
दुराचारों व्यभिचारों पर राह भटकाते नारों पर |
जात धर्म के खारों पर सिसक रहे उजियारों पर ||
कोई जागे या न जागे तुम आवाज लगाया करना | नज्में …||
आस्तीं के साँपों पर सत्ता के माई बापों पर |
कण कण व्याप्त पापों पर जग के सकल संतापों पर ||
नई जमीनें तोड़ा करना शब्द – सुमन उगाया करना | नज्में …||
लुटे हुए जज्बातों पर अपनों के भीतरघातों पर |
अंधियारी काली रातों पर तेजाबी बरसातों पर ||
घबराकर तुम भाग न जाना कोई हल सुझाया करना | नज्में …||
किसने – किसने चांदी कूटा कितना पाया कितना छूटा |
वेश बदलकर किसने लूटा कितना जोड़ा कितना टूटा ||
तेरे जिम्में है ये सब कविवर सारा गणित लगाया करना | नज्में …||
अशोक दर्द प्रवास कुटीर बनीखेत जिला चंबा हिमाचल प्रदेश १७६३०३