ग़ज़ल
पहले सीने पर खंजर चलाया गया ।और फिर उसपे मरहम लगाया गया ।। थे उजाले भी साजिश में शामिल यहां।इसलिए
Read Moreचुनावी दौर था ।धन्नु को नेताजी के फोन आते । नेताजी धन्नु को धनपत कहकर संबोधित करते उसके परिवार का
Read Moreजुलाई का महीना था दिन के लगभग बारह बजे होंगे। आज मौसम साफ था इसलिए बड़ी तेज धूप थी। वरना
Read Moreआराधना का जन्म जिस परिवार में हुआ था वह पढ़ा लिखा आधुनिक और संस्कारी परिवार था…. । पहाड़ की तलहटी
Read Moreसाच पास पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच पांगी घाटी में प्रवेश के लिए एक दर्रा है। यह समुद्र तल
Read Moreपहाड़ों में जीने के लिए पहाड़ होना पड़ता है। जिस तरह पहाड़ धूप- छांव को सहते हुए हमेशा अपनी पीठ
Read Moreसाहित्यकार समाज के दुख को महसूस करके अपनी रचनाओं में उतारता है : अशोक दर्द“लेखक से मिलिए” की 126वीं कड़ी
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