लघुकथा

कहाँ_मिटती_भूख

“मोटर साइकिल मिल गईल मुनिया”
थाने से छुड़ाये मोटरसाइकिल की सूचना पापा दे रहे थे… पापा के फोन रखते भाई को फोन लगाई

” सब ठीक हो गया, अब देर रात घर नहीं लौटियेगा।”
“हाँ! सब ठीक हो गया… देर रात तब न लौटेंगे , जब मोटर साइकिल में बैटरी/इंजन और कुछ पार्ट-पुर्जा लगवा लेंगे।”

फोन रख यादों में डूबने लगी मुनिया, कुछ महीने पहले की बात है , रात ग्यारह बजे होंगे कि पापा का फोन आया उसके छोटे भैया को चाकू से गोद कर मोटर साइकिल छीन ले गये चोर…

पौ फटते वह भागते हुए भाई देखने गई थी… ठीक होने के बाद छोटे भैया उस इलाके के चोरों के सरदार भाई जी को जाकर मिले और वह भाई जी ,अपने आदमियों से कह कर , रात में ही पूरी तरह सही सलामत मोटर साइकिल गाँव के स्कूल पर छोड़वा दिए…

चुकिं चोरी गई मोटर-साइकिल पर एफ. आई. आर. लिखवाया गया था तो घर नहीं लाया जा सकता था । अतः गाँव के चौकीदार ने पुलिस को खबर किया पुलिस आकर मोटर साइकिल थाने ले गई…

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ