मेरी चाह-प्यार और उपकार
मैं चाहता हूँ कि जिन्हे मैं चाहता हूँ
वह सब सुखी रहें
मेरे अपने रहें
वह भी मुझे चाहें
यह निस्वार्थ चाहत ही तो सच्चा प्यार है
जहाँ चाह में स्वार्थ का भाव है
वहीँ सच्चे रिश्ते का आभाव है
जितना आप दूसरों का हित सोचोगे
उतना ही जीवन में सुख पाओगे
आपसी सम्बन्ध का है आधार
परोपकार और सत्कार
इसी में निहित है सच्चा प्यार
जो भी इस चाह को दिल से निभाएगा
प्रभु कृपा से सच्चा सुख पायेगा.
— जय प्रकाश भाटिया