लघुकथा

वीर का बलिदान

रत्ना भाग कर अपने खेत पहुँची तो देखा कि उसके पति का चचेरा भाई मंगलू उस पर कब्ज़ा कर रहा है। रत्ना ने रोका तो वह बोला।
“खेत गिरवी रख कर कर्ज़ा लिया था। अभी तक चुकाया नहीं है।”
“अबकी फसल पर चुका देंगे।”
मंगलू कुटिल हंसी हंसते हुए बोला।
“तुम क्या चुकाओगी। जिसने लिया था वह तो बिना चुकाए सिधार गया।”
रत्ना ने तमाशबीन गांव वालों की तरफ उम्मीद से देखा। सब चुप खड़े रहे।
उसे वह दिन याद आ गया जब सरहद पर शहीद उसके पति की अर्थी उठाते हुए यही गांव वाले नारा लगा रहे थे।
‘हे वीर तेरा बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान’

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है