आए बादल
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
जी भर बादल देख न पाए
जाने किधर गुम हो गए बादल
मन-मयूर आतुर था नृत्य को
नृत्य देख न पाए बादल
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
शुक्र है तुम आए तो हो
इतना ही काफी है बादल
दूर कहीं कूके है कोयल
लगता फिर बरसोगे बादल
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
कभी बरसते ऐसे जैसे
कभी नहीं थम पाओगे
आज न जाने हो किस सोच में
कब तक यूं तरसाओगे?
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
चाहे थम-थमकर ही बरसो
मत करना तुम कल या परसों
कल तो कभी भी आ नहीं पाया
देखी हमने राह है बरसों
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
अति की भली न बरखा होती
अति की भली न होती धूप
इसका ध्यान न रखोगे तो
बिगड़ेगा धरती का रूप
वक्त से पहले आए बादल
खुलकर बरस न पाए बादल-
बादल कभी वक्त से पहले आ जाते हैं, पर खुलकर नहीं बरसते, बस शक्ल दिखाकर बिना बरसे तरसाते चले जाते हैं. कभी-कभी इतना बरसते हैं, मानो आज न बरसे तो फिर कब बरसेंगे और फिर बादल बाढ़ की स्थिति भी पैदा कर देते हैं.