बंदिश कड़ी है
इस तरफ़ यक झोपड़ी उल्टी पड़ी है
उस तरफ़ दसमंजिला अब तक खड़ी है
इसलिये तूफ़ान ने बदला है रुख
अब रईसों की इधर बस्ती बड़ी है
साहिबों के फैसले सारे सही हैं
मुफ़लिसों की किस्मतों में गड़बड़ी है
हक़ है शेरों को कि वो कानून तोड़ें
मेमनों पर ही यहाँ बंदिश कड़ी है
वो बदल सकते हैं मंज़र एक पल में
उनके हाथों में तो जादू की छड़ी है
-प्रवीण ‘प्रसून’