ममत्व
ममता की भावना-संवेदना की महत्ता के बारे मे तो हम बचपन से बहुत कुछ सुनते-देखते आए हैं, लेकिन ममत्व इतना शक्तिशाली भी हो सकता है, यह पहली बार जानने को मिला.
ब्रेन इंजरी के बाद जब जनवरी 2018 में बेटिना को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उस समय बेटिना के आधे अंग लकवाग्रस्त थे और वह तीन महीने की गर्भवती भी थीं. बेटिना दो महीने तक वेंटिलेटर पर रहीं और उसके बाद आईसीयू में शिफ्ट की गईं. डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर भ्रमित थे. वे इस बात से चिंतित थे कि बेटिना को जिंदा रहने के लिए जो दवाएं दी जा रही हैं, उसका बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है, यद्यपि डॉक्टरों ने उसे चेतावनी दी थी कि दवाओं की वजह से बच्चे को बीमारी हो सकती है.
कुदरत का करिश्मा देखिए, कि गर्भ के अंदर बच्चा बिना किसी परेशानी के विकसित होता रहा. 14 जून को सर्जरी के जरिए बच्चे का जन्म हुआ. इस दिन बच्चे का भ्रूण 37 सप्ताह का हो गया था. बच्चे के पिता ने उसका नाम एल्विन रखा है. एल्विन के जन्म के बाद बेटिना कोमा की स्थिति से बाहर आने लगी.
बेटिना ने अपने बच्चे को देखा और उसे अपनी गोद में लिया. बीमारी शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार था जब बेटिना ने अपनी उंगलियों, आंखों और पूरे शरीर को हिलाया. बच्चे के जन्म बाद बेटिना की सेहत में बहुत अच्छा सुधार हुआ और 10 दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई.
यह सब ममत्व का प्रभाव ही तो था.
बहुत सुन्दर लेख, बहिन जी. माँ की ममता में बहुत शक्ति होती है.
प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. माँ की ममता में बहुत शक्ति होती है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
केरल में नवजात बच्चे ने बचाई बीमार मां की जान
यह किस्सा केरल का है. केरल में एक नवजात बच्चा चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बच्चे की वजह से उसकी मां की जीवनचर्या फिर से सामान्य हो सकी।