लघुकथा

लघुकथा – मकान

सेवानिवृत्ति के पश्चात बाबूजी ने पैतृक गांव में मकान बनवाया, इसी बहाने बेटे बहू रिश्तेदारों से जुडे़ रहेंगे, पर बहूरानी तो प्रतीक्षा कर रही थी कि बाबूजी की मुक्ति हो, तो गांव का मकान बेचकर शहर में फ्लेट बुक करवा लेंगे, गांव में घुटन में कौन रहेगा, न इन्टरनेट है, सिर ढ़क कर बुढ़ियाओं के पैर कौन छुएगा, शहर में फ्लेट में हर हफ्ते किटी पार्टी तो कर सकूंगी।

दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी