कविता

वर्षा रानी

वर्षा रानी तुझे बुलावा
संसार मे आया है
धरती सूखी, नदियाँ सूखी,
नहरें सूखी आकाल है!

जीवों का संसार है ईश्वर
जीवन दाता आप है
भरण करना पोषण करना
आपका उपकार है!

खेतों मे दरारें पड़ गये
पौधे भी सब सूख गये
फल -फूल और लताएँ
सब मिलकर के रूठ गए!

जब तूने अपना रंग दिखा़या
रिमझिम करके अवनि पर
फल- फूल और लताएँ
प्रफुल्लित हो उठे गगन!

फसले नदियाँ फल फूलों पे
आश्रृत हम सब बने हुए हैं
जीने का आधार है इनसे
जीवों का कल्याण है!
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।