कारगिल विजय दिवस की बेला
आज विजय दिवस की बेला है,
हम इसकी खुशी मनाएंगे,
इससे पहले हम फिर खुद में,
कुछ साहस और जुटाएंगे.
कारगिल के युद्ध में सबसे पहले,
चरवाहा बना था सेनानी,
उसने ही सेना को सूचना दी थी,
संभलो, दुश्मन ने युद्ध की ठानी.
कारगिल में भले ही दुश्मन ने,
घुटने टेके और हार गया,
पर आज भी नव-नव मोर्चों पर,
वह हमको रोज सता ही रहा.
फन सांप का जब तक कुचले नहीं,
वह बार-बार भय देता है,
दुश्मन भी ऐसा होता है,
वह सतत धमकियां देता है.
सोचो तो पाक क्यों हारा था?
थी कमी एकता की उसमें,
हम जीते थे यह युद्ध तभी,
हो गए एक थे पल भर में.
हम आज भी यह संकल्प करें,
नहीं कमी एकता की होगी,
अंदर-बाहर के दुश्मन जब,
हारेंगे तब ही विजय होगी.
कारगिल विजय दिवस: जब भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान ने टेक दिए थे घुटने
26 जुलाई 1999 वह दिन था जब पाकिस्तान ने भारतीय सेना के आगे घुटने टेक दिए थे। सीमा पर हमले की शुरुआत करने वाले पाक के पास भारत के सामने झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। भारतीय जवानों के साहस, वीरता और जज्बे के सामने पड़ोसी मुल्क की सेना हार मान चुकी थी। करीब दो महीने तक चलने वाले इस युद्ध में जीत मिलने के साथ ही दुनिया को भारत की ताकत का सबूत भी देखने को मिला।