गुलाब बनाम बवाल
गुलाब का नाम भले ही सामान्य व छोटा लगता है, पर अपने में पूरा संसार समाए रखता है यह छोटा-सा शब्द. गुलाब, जिसमें कांटे भी होते हैं और सुंदरता व खुशबू का अंबार भी. प्रेम का तो यह प्रतीक होता है. उसने कभी सोचा भी नहीं होगा, कि पुरस्कार स्वरूप मिला हुआ प्रेम का प्रतीक एक गुलाब पति-पत्नी में बवाल भी खड़ा कर सकता है.
गुलाब की तरह बवाल शब्द भले ही सामान्य व छोटा-सा लगता है, पर अपने में पूरा बवंडर समाए रखता है यह छोटा-सा शब्द. उस दिन उसके घर गुलाब के रूप में बवंडर ही आ गया था.
हुआ यह कि उसे पुरस्कार स्वरूप एक गुलाब मिला था. पुरस्कार इसलिए कि उसने हेल्मेट लगाकर स्कूटर चलाने पर पुलिस इंस्पेक्टर साहब ने उसे गुलाब का फूल दिया था. पुरस्कार, वह भी गुलाब का फूल, उसे तो शान से घर ले जाना ही बनता है न! बस, यही गुलाब बवाल बन गया.
उस फूल के साथ घर पहुंचा तो बीवी पूछने लगी- ”ए जी, यह फूल कहां से आया? किसने दिया?”
”ट्रैफिक पुलिस वाले ने हेलमेट लगाकर चलने के कारण दिया,” वह बार बार बताता रहा, लेकिन बीवी मानने को तैयार ही नहीं थी कि पुलिस वाले फूल दे सकते हैं. पूरी रात दोनों की लड़ाई होती रही. उनकी पूरी रात काली हो गईं.
अगले दिन वह चौराहे-चौराहे उस ट्रैफिक पुलिस वाले को ढूंढता रहा. आखिर वह मिल गया. उस दिन उसे गुलाब के साथ उस ट्रैफिक पुलिस वाले के साथ खिंचवाया गया फोटो भी मिल गया. वह इस आशा के साथ घर गया, कि शायद अब बवाल थम जाएगा और आज इनकी रात काली नहीं होगी.
इस लघुकथा का शीर्षक लिखते समय हमें रामवृक्ष बेनीपुरी का निबंध ‘गेहूं बनाम गुलाब’ याद आ रहा था, जो हमने बचपन में पाठ्यक्रम में पढ़ा था. उसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं-
गेहूँ हम खाते हैं, गुलाब सूँघते हैं। एक से शरीर की पुष्टि होती है, दूसरे से मानस तृप्त होता है।
गेहूँ बड़ा या गुलाब? हम क्या चाहते हैं – पुष्ट शरीर या तृप्त मानस? या पुष्ट शरीर पर तृप्त मानस?
जब मानव पृथ्वी पर आया, भूख लेकर। क्षुधा, क्षुधा, पिपासा, पिपासा। क्या खाए, क्या पिए? माँ के स्तनों को निचोड़ा, वृक्षों को झकझोरा, कीट-पतंग, पशु-पक्षी – कुछ न छुट पाए उससे !
गेहूँ – उसकी भूख का काफला आज गेहूँ पर टूट पड़ा है? गेहूँ उपजाओ, गेहूँ उपजाओ, गेहूँ उपजाओ !
मैदान जोते जा रहे हैं, बाग उजाड़े जा रहे हैं – गेहूँ के लिए।
बेचारा गुलाब – भरी जवानी में सिसकियाँ ले रहा है। शरीर की आवश्यकता ने मानसिक वृत्तियों को कहीं कोने में डाल रक्खा है, दबा रक्खा है।