इंसानियत पुरस्कृत हुई
डॉक्टर भारत वटवानी को रैमन मैगसायसाय अवॉर्ड प्राप्त होने की सूचना मिली तो स्वाभाविक रूप से वे हर्षित और उत्साहित तो थे ही, उनको पिछले कई सालों की घटनाएं भी याद आने लगीं.
किसी भी दुःखी इंसान को देखकर वे मन से बहुत दुःखी होते थे और उसके दुःख-दर्द को दूर करने की कोशिश में लग जाते थे. सबसे पहले उन्होंने अपनी पत्नी के साथ छोटे स्तर पर ही दिमागी तौर पर बीमार सड़कों पर रहने वालों का प्राइवेट क्लिनिक में इलाज करवाना शुरू किया था. इसके बाद उन्होंने सड़कों पर रह रहे मानसिक रोगियों को आश्रय देने, खाना मुहैया कराने, दिमागी इलाज कराने और परिवार से मिलवाने के मकसद से सन् 1988 में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन की स्थापना की.
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया.
एक बार जब वे इस काम में लग ही गए थे तो वटवानी परिवार की मदद पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ता और कई अन्य लोग भी करते थे. आज मैगसायसाय अवॉर्ड से डॉक्टर भारत वटवानी के रूप में इंसानियत पुरस्कृत हुई थी.
लीला बहन , डॉक्टर भारत वटवानी जैसे लोग ही इन्सानिअत को ज़िन्दग रखते हैं . उन की सेवा भावना को सलाम .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. डॉक्टर भारत वटवानी जैसे लोग ही इन्सानियत को ज़िन्दा रखते हैं. उन की सेवा भावना को सलाम. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
एशिया के नोबेल पुरस्कार माने जाने वाले रैमन मैगसायसाय अवॉर्ड-2018 पाने वालों में दो भारतीय भी शामिल हैं। भारतीय भारत वटवानी को सड़क पर भीख मांगने वाले हजारों मानसिक रोगियों का इलाज करवाने और उन्हें उनके परिवार से मिलवाने के लिए पुरस्कार दिया गया है। वहीं, सोनम वांगचुक को प्रकृति, संस्कृति और शिक्षा के जरिए सामुदायिक प्रगति के लिए काम करने को लेकर यह पुरस्कार मिला है। डॉक्टर भारत वटवानी और सोनम वांगचुक को हमारी ओर से कोटिशः बधाइयां और शुभकामनएं.