सच्चाई रख सीने में ठोकर पे दुनियादारी रख
सच्चाई रख सीने में ठोकर पे दुनियादारी रख
ग़र जीने की चाहत है तो मरने की तैयारी रख
तूफ़ां से घबराने वाले पार नही उतरा करते
तूफ़ानों से ठकराने में सबसे पहली बारी रख
सीधा साधा होने का मतलब नाकामी पाएगा
बेहद लाजिम है तू चेहरे में थोड़ी ऐयारी रख
देख ज़रूरी है जैसे को तैसा होना इस युग में
इंसा की ख़ातिर गुल शैतानों के नाम कटारी रख
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में पड़कर मत ईमान घटा
मानव है तो मानवता में अपनी हिस्सेदारी रख
शैतानों के ऊँचे कद को अदना करना है तो फ़िर
लफ़्जों में सच्चाई रख तू लहजे में ख़ुद्दारी रख
सतीश बंसल
१०.०७.२०१७