गीतिका/ग़ज़ल

सच्चाई रख सीने में ठोकर पे दुनियादारी रख

सच्चाई रख सीने में ठोकर पे दुनियादारी रख
ग़र जीने की चाहत है तो मरने की तैयारी रख

तूफ़ां से घबराने वाले पार नही उतरा करते
तूफ़ानों से ठकराने में सबसे पहली बारी रख

सीधा साधा होने का मतलब नाकामी पाएगा
बेहद लाजिम है तू चेहरे में थोड़ी ऐयारी रख

देख ज़रूरी है जैसे को तैसा होना इस युग में
इंसा की ख़ातिर गुल शैतानों के नाम कटारी रख

मंदिर मस्जिद के झगड़ों में पड़कर मत ईमान घटा
मानव है तो मानवता में अपनी हिस्सेदारी रख

शैतानों के ऊँचे कद को अदना करना है तो फ़िर
लफ़्जों में सच्चाई रख तू लहजे में ख़ुद्दारी रख

सतीश बंसल
१०.०७.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.