कविता

कैंडिल नाइट

बहुत उदास है—————
आज हमारे तुम्हारे मोहब्बत की,
कैंडिल नाईट।
मै वही बैठी हूँ ठिक सामने,
बस वे जगह खाली है-
जहां तुम बैठते थे,
आज बहुत उदास है मेरे अंदर जिंदगी,
मै टुट रही हूँ!
मेरे संग बीत रही है,
बस तुम्हारे खूबसूरत यादो की—–
कैंडिल नाईट।
शायद कही चुक गये हम,
इसी से हमारे रिश्ते में गलतफ़हमी बढ़ती गई!
तुम अलग हो गये मै अलग हो गई,
अब तो अक्सर————–
डिनर मेज पे ही रह जाता है,
और मै कुर्सी पे बैठी यु ही,
गुजार देती हू————-
अपनी कैंडिल नाईट।
गर गुंजाइश हो तो लौट आओ,
एक मर्तबा ही सही मुआफ करने,
क्योंकि ऐ,रंग—–कही ऐसा न हो,
कि तेरा इंतजार करते-करते,
हमेशा के लिये बुझ जाये,
मेरी ये कैंडिल नाईट।

रंगनाथ द्विवेदी

रंगनाथ दुबे

जन्मदिन-10-7-1982 शिक्षा----एम.ए.,डि.एच.एल.एस. संम्प्रति----इटीनरेंट टीचर समेकित शिक्षा। प्रकाशन----अमर उजाला,अपने यहाँ के विथिका कालम से दैनिक जागरण में रचनाये व व्यंग्य लेख का प्रकाशन,सच का हौसला,तरुणमित्र,देश की उपासना,व करुणावती साहित्य धारा के अलावे अन्य पत्र-पत्रिकाओ से रचनाओ का प्रकाशन। mo.no.----7800824758 ईमेल एड्रेस[email protected]