राखी का नेह
बचपन की यादों को लेकर,रक्षाबंधन आया है !
कर पर धागा,मस्तक रोली,चंदन-वंदन लाया है !!
प्रीति थिरकती,नेह बिखरता,
दिल में पावनता पलती
प्यार जताने,वचन निभाने,
को पावन ज्योति जलती
संस्कार के आंचल में अब,नव अभिनंदन आया है !
कर पर धागा,मस्तक रोली,चंदन-वंदन लाया है !!
बीता कल है आज जवाँ फिर,
कहीं खिला भोलापन है
हर दिल खुश है,हर्ष चहकता,
सभी जगह अपनापन है
बहन-भाई का रिश्ता कोमल,मीठी अनबन लाया है !
कर पर धागा,मस्तक रोली,चंदन-वंदन लाया है !!
वेद-पुराणों में महिमा है,
इतिहासों में गाथा है
मान और स्तुति में देखो,
झुका सभी का माथा है
भावों के सागर में देखो,उजला सा इक दर्पन है !
कर पर धागा,मस्तक रोली,चंदन-वंदन लाया है !!
— प्रो. शरद नारायण खरे