मेरी मुस्कान तुम से है
मेरी मुस्कान तुमसे से ही है,
मेरी हर खुशी तुमसे ही है
तुम्हें देख लेते है तब
बडा सुकून महसूस करते है
तुम्हारी आँखो के आयने में
खुद को पा लेते हैं
मेरे शब्दो में तुम ही हो
मेरे हर रंग में तुम ही हो
दिल के उजाले मेंं तुम ही हो
ढलती धूप में तुम ही हो
मैं सोचती सिर्फ़ तुमको हूँ
मै मानती सिर्फ़ तुमको हूँ
हर पल हर दिन सिर्फ़
तुम्हारा इंतज़ार रहता है
मेरी आरज़ू भी तुम हो
मेरी पूजा भी तुम हो
मेरी इबादत भी तुमसे से है
मन की हर चाहत तुमसे हैं
तुम पास होते हो
सब कुछ कितना हसीन लगता है
तुम नहीं होते हो एक एक पल
एक सदी सा कतता है
आँखो में इन्तजार के मोती छोड़ जाते हो
नम आँखो में भी तुम ही बह जाते हो
तुम साथ हो मेरे ,
जैसे सारा जहां पा लिया हो मैने
तुम्हारी खिलखिलाहट से
मन मोर हो जाता है
— युक्ति वार्ष्णेय “सरला”