गीतिका/ग़ज़ल

इज़हार

आए थे पास जब वो, यूं प्यार को लिये।
लफ़्जों में पिरोये हुये, इज़हार को लिये।

हर वक्त का मनुहार, वो अंदाज़ सुहाना,
दिल हारने लगा था, इनकार को लिये।

आख़िर वो प्यार हमने, सर से लगा लिया,
ख़ामोश  से लबों पे , इकरार को लिये।

वो प्यार वो इज़हार, अब आता नहीं नज़र,
जाने  कहां  गया वो , इसरार को लिए।

आने लगे दिल में, नामुनासिब से ख़यालात,
बढ़ने  लगी  है उम्र , इंतज़ार को लिये ।

पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है