बारिश और तेरी याद
यूँ तो हर तरफ बारिशों का पहरा है ।
फिर क्यों मन ये मेरा रेत का सेहरा है ।।
इतना बरस कि आँखें समंदर हों जाएं ।
आज ये वक्त तेरी याद पे ठहरा है ।।
हर बूंद जगा रही है तेरे न होने का अज़ाब ।
मुझे मिला था ज़र्फ़ वो आज भी गहरा है ।।
कैसे पहचानू , तू क्या है जिंदगी।
आईने हैं अलग-अलग बस एक ही चेहरा है ।।
— नीरज सचान