कविता

बारिश और तेरी याद

यूँ तो हर तरफ बारिशों का पहरा है ।

फिर क्यों मन ये मेरा रेत का सेहरा है ।।

इतना बरस कि आँखें समंदर हों जाएं ।

आज ये वक्त तेरी याद पे ठहरा है ।।

हर बूंद जगा रही है तेरे न होने का अज़ाब ।

मुझे मिला था ज़र्फ़ वो आज भी गहरा है ।।

कैसे पहचानू , तू क्या है जिंदगी।

आईने हैं अलग-अलग बस एक ही चेहरा है ।।

नीरज सचान

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]