भारत की महामारी है चाय
शीर्षक पढ़कर चौंकिये मत! यह अक्षरशः सत्य है। एक सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली में 42.5%, मुम्बई में 38.5%, अहमदाबाद में 36%, चेन्नई में 24.5%, और कोलकाता में 19.5% लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। अन्य शहरों और गाँवों में भी इस स्थिति में अधिक अन्तर नहीं होगा। ये आँकड़े स्तब्ध कर देने वाले हैं। सर्वेक्षण करने वाले संगठन इसका कारण समझने में असमर्थ रहे हैं। लेकिन मैं जानता हूँ कि इसका प्रमुख कारण है चाय। चाय भारत की सबसे बड़ी बीमारी है।
वास्तव में डायबिटीज केवल पाचन शक्ति की कमजोरी का रोग है और इस कमजोर पाचन शक्ति का सबसे बड़ा कारण है चाय का सेवन करना। चाय में एक प्रकार का मीठा सा नशा होता है। कुछ दिन पीने से इसकी लत लग जाती है और फिर एक दिन यदि चाय समय पर न मिले तो सिर दर्द के कारण फटने लगता है और पूरा शरीर शिथिल हो जाता है। इस कारण वह व्यक्ति न चाहते हुए भी चाय पीने के लिए मजबूर हो जाता है।
चाय का सबसे पहले और सबसे अधिक बुरा प्रभाव हमारी पाचनशक्ति पर पड़ता है। चाय के कारण हमारी आँतों की भीतरी दीवारों पर काले-कत्थई रंग की ऐसी पर्त जम जाती है जैसी चाय के बर्तनों पर जमी देखी जा सकती है। यह पर्त हमारी आँतों को उनका स्वाभाविक कार्य करने से रोक देती हैं। आँतों का कार्य है भोजन को पचाना अर्थात् उसमें से उपयोगी तत्वों को चूसना और फालतू वस्तुओं को मल के रूप में मलद्वार में भेज देना। जब आँतें स्वाभाविक रूप से कार्य नहीं करतीं तो वे भोजन में से उपयोगी तत्व खींचने में असमर्थ हो जाती हैं और मल का निष्कासन भी सही प्रकार से नहीं करतीं।
लम्बे समय तक यह स्थिति बने रहने पर शरीर भोजन में उपस्थित ग्लूकोस को आत्मसात करने में असफल हो जाता है और डायबिटीज की स्थिति बन जाती है। डायबिटीज का पता चलने पर लोग फीकी चाय पीना या चाय में सुगरफ्री नामक नक़ली मिठास डालना शुरू कर देते हैं। लेकिन इससे भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, क्योंकि पाचनशक्ति पहले ही कमजोर हो चुकी होती है। फीकी चाय उसे और अधिक कमजोर करती चली जाती है। इसलिए चाय को पूरी तरह छोड़े बिना डायबिटीज से छुटकारा पाना असम्भव है, चाहे वे कितनी भी दवा खा लें।
इसलिए जो लोग डायबिटीज से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले तो हर प्रकार की चाय, कॉफी और ठंडे पेयों का सेवन बंद कर देना चाहिए। इसके स्थान पर दिन भर में तीन-चार लीटर सादा पानी पीना चाहिए। इससे चाय का कुप्रभाव धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाएगा। एकदम से चाय छोड़ देने पर एक-दो दिन कुछ कष्ट होगा, उसे झेल जाना चाहिए।
पाचन शक्ति सुधारने के लिए नित्य शौच के बाद पेड़ू पर 3-4 मिनट तक खूब ठंडे पानी का पौंछा लगाना चाहिए और उसके तत्काल बाद 1-2 किलोमीटर तेज चाल से टहलना चाहिए। ऐसा करने से दो-तीन माह में ही डायबिटीज से पूरी तरह छुटकारा मिल जाएगा। इसी बीच हल्का भोजन करना और मिठाई के सेवन से बचे रहना अनिवार्य है।
— विजय कुमार सिंघल
श्रावण कृ 10, सं. 2075 वि. (6 अगस्त 2018)
विजय भाई , बात आप की सही है लेकिन चाय छोड़ना भी आज मुश्किल काम लगता है . पहले लोग दही लस्सी पीते थे .आज अकेला चाय नहीं और भी इतने नकली ड्रिंक कोका कोला से शुरू हो कर बीअर तक के ड्रिंक पिए जाते हैं . फिर हम स्ट्रीट फ़ूड खाने के इतने आदी हो गए हैं की यह जिंदगी का हिस्सा ही हो गिया है . यहाँ तो हर्बल टी भी बहुत किस्मों की मिलती है लेकिन कुछ दिन पी कर फिर अंग्रेजों की दी हुई चाय पर आ जाते हैं . यह तो सैल्फ डिसिप्लन है, कहने से कोई नहीं मानता . नए नए ड्रिंक बार्ष की तरह मार्केट में फैंके जा रहे हैं और फिर उन के विगिआपन, आम इंसान करे भी तो किया करे . बाकी डायेबटीज़ का कारण अकेले चाय नहीं हो सकती .मैं बहुत यहाँ के पैदा हुए बच्चों को जानता हूँ जो चाय पीते ही नहीं थे , फिर भी इंजेक्शन लगा रहे हैं .शरीर की ओर धियान देना भी एक तपस्य ही है जो सभी नहीं कर सकते .जो यह तपस्य कर सकता है , अवश्य सिह्त्मन्द बनेगा .