कविता

सुनामी आ गई-

मुसलसल बरसात का सिलसिला
जारी रहा जिस पल…………..
पलकों में भी सावन की सौगात आ गई
इनायत औ गुनाहों ने संग में कदम रखा
तरबतर दुनियां हुई, सुनामी आ गई
मुसलसल बरसात…………….

ढूंढते हैं सु कहीं नामी बडी जालिम।
जारी कटान है बरखा बड़ी जालिम
चाह के भी हम साहिल पे न गये
कुछ मंजर ऐसा हुआ वो बात आ गई
मुसलसल बरसात…………….

राज कुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782