तुम आओ तो सही
गुनगुनाती है हवाएं तुम आओ तो सही
दे रहा दिल भी सदाएं तुम आओ तो सही
बहरे हस्ती में चलो वक्त की कश्ती लेके
प्यार की ओर चलाएं तुम आओ तो सही
फ़ासले हो न दरमियां यूं आ जाओ करीब
धड़कने दिल की जगाएं तुम आओ तो सही
बंद होठों पे शरारे सी चमकती शबनम
प्यास नज़रों की बुझाएं तुम आओ तो सही
बहने दे अश्कों को करने दें यूं कदम बोसी
रुह में रुह समाए तुम आओ तो सही
— पुष्पा “स्वाती”