ग़ज़ल
जिंदगी तू अब मुहब्बत गुनगुनाना सीख ले
हर मुसीबत में सदा तू मुस्कुराना सीख ले |
आपदा का आना’ जाना फ़क्त इत्तेफाक है
मत डरो आपत्तियों से, डर मिटाना सीख ले |
गर तुम्हे कोई डराए, हौसला ना छोड़ना
वीरता से जीतकर उसको, डराना सीख ले |
जब तुम्हारे कष्ट से, मित्रों को’ चिंता है नहीं
दूसरों से दुख सदा अपना छुपाना सीख ले |
आग को सब जानते कैसे लगाना देश में
नफरतों की तेज ज्वाला को बुझाना सीख ले |
वो चुराते हैं सभी कुछ आँख के ही सामने
प्रेयसी की आँख से काजल चुराना सीख ले |
आपसी झगड़ों का’ निपटारा जरूरी है यहाँ
रिश्ते’ की चादर फटी, पट्टी सिलाना सीख ले |
दिल मिले या ना मिले नेता गले मिलते सदा
तू गले ‘काली’ मिले या कर मिलाना सीख ले |
कालीपद ‘प्रसाद’