कविता

वो हुनर कहाँ से लाओ

*_वो हुनर कहाँ से लाऊं,अब अपनी माँ कहाँ से लाऊं…….._*

मिट्टी से आँगन लीपने का हुनर बस माँ को आता था।
मेरे मन की बात समझने का हुनर बस माँ को आता था।

बिना कुछ कहे सब समझने का हुनर बस माँ को आता था।
मेरी गलतियों को ढकने का हुनर बस माँ को आता था।।

उसके जाने के बाद जो ना समझा पाता हूँ मैं खुद को।
वो भी समझाने का हुनर बस माँ को ही आता था।।

खुद ज्यादा पढ़ी लिखी ना थी मेरी माँ,पर बचपन मे,
गुरु की तरह पढ़ाने का हुनर बस माँ को आता था।।

खुद रुठ कर खुद ही मान जाने का हुनर बस माँ को आता था।
आज छलते है लोग मुझे,उनसे बचाने का हुनर बस माँ को आता था।।

मेरा परिचय
नाम – नीरज त्यागी
पिता का नाम – श्री आनंद कुमार त्यागी
माता का नाम – स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी
ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected]
ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)