गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

राजाधिराज का गिरा’ दुर्जय कमान है
सब जान ले अभी यही’ विधि का विधान है |
अद्भूत जीव जानवरों का जहान है
नीचे धरा, समीर परे आसमान है |
संसार में तमाम चलन है ते’री वजह
हर थरथरी निशान ते’री, तू ही’ जान है |
जो भी जमा किये यहाँ’ रह जायगा यहीं
कुछ साथ जायगा नहीं’ फिर क्यों गुमान है |
तू कौन है ? नहीं पता’ कुछ भी अभी यहाँ
घर तेरा’ कोई’ है तो’ कहाँ वो मकान है ?
इलज़ाम जो लगाया’ सभी झूठ है सनम
मैं चुप जरूर किन्तु मे’री भी जबान है |
जो ज़ख्म बेवफा ने’ दिया वो नहीं भरा
हृद चोट जो लगी, अभी’ उसका निशान है |
वो नोट से खरीदते’ सब वोट अब तलक
अब गैस मोल में दिया’ ना मेहरबान है |
वो पांच साल राज किये अब हिसाब दे
जन प्रश्न का जवाब ही’ तो इम्तिहान है |
इक अर्ब लोग किन्तु, मिली ताज तुझको’ ही
‘काली’ समझ करोड़ में’, तू भाग्यवान है |
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !